रक्षा बंधन (राखी) का त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम और बहन द्वारा भाई की रक्षा की कामना का प्रतीक है। इसकी कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध हैं:
द्रौपदी और श्री कृष्ण की कथा (महाभारत काल):
कथा के अनुसार, युद्ध के दौरान शिशुपाल के विरुद्ध लड़ते हुए श्री कृष्ण की उंगली घायल हो गई।
द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया, जिससे खून बहना बंद हो गया। यह एक भाई के प्रति बहन के स्नेह और चिंता का प्रतीक था।
श्री कृष्ण ने इस स्नेह को एक रक्षा का वचन माना और उन्हें किसी भी संकट में सहायता करने का वचन दिया।
जब दुःशासन ने द्रौपदी का चीरहरण करने का प्रयास किया, तब श्री कृष्ण ने अपने वचन का पालन करते हुए द्रौपदी की लाज बचाई, उनकी साड़ी को बढ़ा दिया। यह घटना द्रौपदी द्वारा बांधे गए उस सूत्र (राखी) की शक्ति और भाई द्वारा बहन की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
राजा बलि और माता लक्ष्मी की कथा:
दानव राजा बलि ने अपनी तपस्या और दानवीरता से तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था। भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी।
वामन ने दो पग में ही स्वर्ग और पृथ्वी नाप ली। तीसरा पग रखने के लिए बलि ने अपना सिर आगे कर दिया। प्रसन्न होकर विष्णु ने उसे पाताल लोक का स्वामी बना दिया और स्वयं उसकी रक्षा के लिए पाताल में रहने का वचन दिया।
इससे देवी लक्ष्मी चिंतित हो गईं। उन्होंने राजा बलि को राखी बांधकर उसे अपना भाई बनाया और उपहार स्वरूप अपने पति विष्णु को वापस मांग लिया। बलि ने प्रसन्नतापूर्वक विष्णु को लौटा दिया और लक्ष्मी से रक्षा बंधन का वचन लिया। इस दिन को भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा (रक्षाबंधन) के रूप में मनाया जाने लगा।
इंद्राणी और इंद्र की कथा:
देवताओं और दानवों के बीच लंबे युद्ध के दौरान देवराज इंद्र घबरा गए। उनकी पत्नी शची (इंद्राणी) ने एक पवित्र धागा बनाया, उस पर मंत्रों का उच्चारण किया और इंद्र की कलाई पर बांध दिया।
इस पवित्र धागे (रक्षासूत्र) की शक्ति से इंद्र युद्ध में विजयी हुए। यह कथा रक्षासूत्र की शक्ति और पत्नी द्वारा पति की कुशलता की कामना के रूप में भी देखी जाती है, हालाँकि आज यह मुख्यतः भाई-बहन का त्योहार है।
रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ की ऐतिहासिक घटना:
यह पौराणिक नहीं बल्कि ऐतिहासिक घटना है (चित्तौड़, 16वीं शताब्दी)।
जब गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने मेवाड़ पर हमला किया, तो विधवा रानी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजकर सहायता मांगी।
हुमायूँ ने राखी की लाज रखी और तुरंत सेना लेकर चित्तौड़ की रक्षा के लिए चल पड़ा, हालाँकि वह पहुँचने से पहले ही चित्तौड़ का पतन हो गया। फिर भी, उसने रानी और उसके राज्य की रक्षा का प्रयास किया। यह घटना रक्षाबंधन के बंधन की शक्ति को दर्शाती है, जो सगे भाई तक ही सीमित नहीं है।
आधुनिक महत्व:
रक्षाबंधन आज मुख्य रूप से भाई-बहन के अटूट प्रेम, विश्वास और कर्तव्य का प्रतीक है। बहन भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती है, तो भाई उसकी रक्षा का जीवन भर का वचन देता है। यह त्योहार पारिवारिक बंधनों को मजबूत करता है और सामाजिक सद्भाव का संदेश देता है। आजकल बहन-बहन, भाई-भाई और करीबी दोस्त भी रक्षा के प्रतीक के रूप में राखी बांधते हैं।
शुभकामना:
आप सभी को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ! यह त्योहार भाई-बहन के प्यार और विश्वास को हमेशा मजबूत बनाए रखे।
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