🌕 संकष्टी चतुर्थी: विधि, मंत्र एवं महत्व
संकष्टी चतुर्थी हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को समर्पित एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है जो प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत सभी संकटों का नाश करने वाला माना जाता है और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक गहन है। धर्मशास्त्रों और पुराणों में इस व्रत की विस्तृत चर्चा मिलती है, जिसमें विशिष्ट नियम, मंत्र और ज्योतिषीय सिद्धांत सम्मिलित हैं।
📜 धर्मशास्त्रों में संकष्टी चतुर्थी का उल्लेख
🪔 गणेश पुराण में वर्णित विधि
"चतुर्थी व्रतमासाद्य गणेशस्य प्रियोत्सवे।
सर्वकामार्थसिद्धिर्हि भवेन्नास्त्यत्र संशयः॥"
अर्थात् गणेश जी के प्रिय चतुर्थी व्रत को करने से सभी कामनाओं की सिद्धि होती है, इसमें कोई संदेह नहीं है।
📖 ब्रह्म वैवर्त पुराण
गणपति खण्ड में भगवान गणेश के अवतार और चतुर्थी व्रत का महात्म्य वर्णित है। श्रीकृष्ण ने स्वयं गणेश रूप में अवतार लिया था।
📘 स्कन्द पुराण
चंद्रमा और गणेश जी के संबंध की कथा मिलती है। इसमें चंद्र दर्शन की महत्ता बताई गई है।
🔱 संकष्टी चतुर्थी के मंत्र एवं श्लोक
🙏 मुख्य गणेश मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
🕉 गणेश गायत्री
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
🧿 तांत्रिक मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥
📿 संकटनाशन स्तोत्र (द्वादश नाम)
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यं आयुःकामार्थसिद्धये॥
प्रथमं वक्रतुंडं च एकदंतं द्वितीयकम्।
तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्॥
लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टमम्॥
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तू गजाननम्॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम्॥
जपेद्गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलम् लभेत्।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत्।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः॥
🪐 ज्योतिष शास्त्र अनुसार चतुर्थी तिथि
- शुद्धा, शिवा, शांता चतुर्थी - भविष्य पुराण में वर्णन
- शनिवार + चतुर्थी = सिद्धि योग
- चंद्रमा का प्रभाव: मानसिक शांति के लिए चंद्र दर्शन अनिवार्य
🪔 संपूर्ण पूजा विधि (शास्त्रोक्त)
🛁 प्रातःकालीन तैयारी
- स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें
- पूर्व/उत्तर दिशा में पूजा स्थल तय करें
- व्रत संकल्प लें
🙏 गणेश पूजन - षोडशोपचार विधि
- गणेश स्थापना: मूर्ति/चित्र
- अभिषेक: गंगा जल से
- आवाहन से लेकर नैवेद्य तक 16 उपचार करें
- मंत्र जाप:
- ॐ गं गणपतये नमः - 108 बार
- ॐ वक्रतुंडाय हुम् - 108 बार
- वक्रतुण्ड महाकाय... - 21 बार
- गणेश चालीसा एवं आरती करें
🌙 चंद्र दर्शन और पारण
रात्रि में चंद्रमा निकलने के पश्चात अर्घ्य दें:
- लोटे में जल, दूध, अक्षत, सफेद पुष्प
- मंत्र: ॐ चंद्राय नमः
- पश्चात प्रसाद लेकर व्रत पारण करें
🗓 बारह मासों की संकष्टी चतुर्थी
| मास | नाम | विशेष आहार |
|---|---|---|
| चैत्र | भालचंद्र | पंचगव्य |
| वैशाख | विकट | शतपत्र |
| ज्येष्ठ | एकदंत | केवल घी |
| आषाढ़ | कृष्णपिंगल | केवल शहद |
| श्रावण | हेरंब | मोदक |
| भाद्रपद | गजानन | दूध |
| आश्विन | लम्बोदर | पूर्ण उपवास |
| कार्तिक | विकट | दूध |
| मार्गशीर्ष | संकटहर | निराहार |
| पौष | उद्धण्ड | गौ मूत्र |
| माघ | ऋणमोचन | तिल |
| फाल्गुन | द्विजप्रिय | घी-शक्कर |
⚠️ व्रत नियम और सावधानियां
- ब्रह्मचर्य और सात्विकता का पालन करें
- तुलसी और सफेद वस्तुओं का प्रयोग न करें
- गौ सेवा करें, चूहों को अन्न खिलाएं
- स्त्रियां मासिक धर्म के ०६ दिन बाद व्रत करें
🌺 व्रत का फल एवं आध्यात्मिक लाभ
- संकटों का नाश
- धन, संतान, बुद्धि और विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान
- कर्म शुद्धि, भक्ति भाव में वृद्धि और मोक्ष
संकष्टी चतुर्थी केवल एक व्रत नहीं बल्कि एक संपूर्ण आध्यात्मिक साधना है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, सही विधि से किए गए इस व्रत से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
🌕 चंद्र दर्शन: भाद्रपद की चतुर्थी में क्या करें और क्या न करें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए। इसे 'कलंक चतुर्थी' के नाम से भी जाना जाता है।
📜 पौराणिक कथा:
कहते हैं कि एक बार भगवान गणेश अपने गजमुख रूप और बड़े पेट के कारण चंद्रमा से उपहास का पात्र बने। इससे नाराज होकर गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दिया कि जो भी इस दिन उनका दर्शन करेगा, उसे झूठे आरोप या कलंक का सामना करना पड़ेगा।
एक अन्य कथा के अनुसार, इसी दिन भगवान कृष्ण ने गलती से चंद्रमा को देख लिया था, जिसके कारण उन पर स्यमंतक मणि चुराने का झूठा आरोप लगा था।
📅 भाद्रपद की दोनों चतुर्थियां:
- भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी: यह गणेश चतुर्थी होती है और इस दिन चंद्र दर्शन से बचना चाहिए।
- भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी: यह संकष्टी चतुर्थी होती है। इस दिन व्रत रखकर चंद्रमा की पूजा की जाती है और चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोला जाता है।
इसलिए, भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (संकष्टी चतुर्थी) को चंद्र दर्शन करना शुभ माना जाता है।
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